पशुजन्य रोगों का खतरा: एशियाई व अफ्रीकी देश साझा रणनीति बनाएंगे

पशुजन्य रोगों का खतरा: एशियाई व अफ्रीकी देश साझा रणनीति बनाएंगे

सेहतराग टीम

पूरी दुनिया पिछले कुछ समय से पशुजन्‍य रोगों से त्रस्‍त है। चाहे वो चमगादड़ के जरिये निपाह वायरस से फैलने वाली बीमारी हो, मुर्गियों, बत्‍तखों आदि से फैलने वाली बर्ड फ्लू हो, माल्‍टा ज्‍वर हो या फ‍िर एन्‍थ्रेक्‍स, इन बीमारियों ने अन्‍य देशों के साथ-साथ भारत को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कभी सुअर से फैला एच1एन1 फ्लू भले ही अब जानवरों से न फैलता हो मगर शुरुआत इसकी भी जानवर से ही मानी जाती है।

पशुजन्य रोगों से जन स्वास्थ्य के प्रति खतरों से निपटने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भारत सहित दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा उप-सहारा अफ्रीका के कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों द्वारा साझा रणनीति बनाने की जरूरत पर बल दिया है। 

डा. हर्षवर्धन ने सोमवार को पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों की रोकथाम के तरीकों पर विचार विमर्श के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘वन हेल्थ इंडिया कांफ्रेंस’ का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। 

उन्होंने कहा ‘इस सम्मेलन में मानव और पशु, दोनों के स्वास्थ्य पर विभिन्न रोगों के पड़ने वाले प्रभाव और इनके खतरों से निपटने पर विचार किया जाएगा। पर्यावरण के मद्देनजर वैश्विक स्वास्थ्य और आजीविका को सुरक्षा देने की आवश्यकताओं को एकीकृत रूप से पूरा करने के लिए प्रयास किए जाने हैं। 

मंत्रालय ने कृषि एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के विभिन्न संबद्ध विभागों के सहयोग से यह सम्मेलन आयोजित किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में शुमार है, जिनमें पशुजन्य रोग जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इसमें माल्टा ज्वर जैसे पशुजन्य रोग हरियाणा से गोवा तक फैलने और एन्थ्रेक्स से मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने के अलावा जानवरों की टीबी के संक्रमण से मनुष्यों के स्वास्थ्य को पैदा होने वाले खतरे पर विचार विमर्श किया गया। 

डा. हर्षवर्धन ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न देशों के शोधकर्ताओं और चिकित्सा विशेषज्ञों को चर्चा करने का अवसर मिलेगा। जिससे मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरणजन्य स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के उपाय तैयार किए जा सकें।

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